आमेर महाराजा पृथ्वीराज जी कछवाहा
12 KOTRI OF AMER
महाराजा पृथ्वीराज जी के 19 पुत्र हुए जिनमे 5 अपुत्र ही वीरगति को प्राप्त होने आदि के कारण एवं दो राजा एवं जोगी बन जाने से शेष 12 पुत्रो में 12 कोटड़ी का विभाजन हुआ।
महाराजा पृथ्वीराज जी के 9 महारानियों से 19 पुत्र रत्न प्राप्त हुए थे -
क्र.स. |
पुत्र का नाम |
खांप/शाखा - मुख्य ठिकाना |
1 |
भीम सिंहजी |
भीमसिंहोत - नरवर |
2 |
पिच्याणजी |
पिच्याणोत - नायला |
3 |
भारमलजी |
आमेर राज |
4 |
गोपालजी |
नाथावत - चोमू , सामोद आदि |
5 |
सुलतानजी |
सुलतानोत - काणोता |
6 |
जगमालजी |
खंगारोत - नरेना, डिग्गी आदि |
7 |
सहसमल जी |
अपुत्र - अल्पायु में वीरगति |
8 |
सांगाजी |
सांगानेर के संस्थापक, (भोमियाजी महाराज) |
9 |
बलभद्रजी |
बलभद्रोत - अचरोल |
10 |
रायमलजी |
अपुत्र - अल्पायु में वीरगति |
11 |
रामसिंहजी |
रामसिंहोत |
12 |
प्रतापसिंहजी |
प्रतापपोता - कोटडे |
13 |
सांईदासजी |
सांईदासोत - बड़ोद |
14 |
चतुर्भुजजी |
चतुर्भुजोत - बगरू |
15 |
कल्याणजी |
कल्यानोत - कालवाड़ |
16 |
भीखाजी |
अपुत्र - अल्पायु में वीरगति |
17 |
तेजसीजी |
अपुत्र - अल्पायु में वीरगति |
18 |
पूरणमलजी |
पूरणमलोत - निम्हेडा |
19 |
रूपसीजी |
रूपसिंहोत - बांसखोह
|
कछवाहा राजपूतों की धरोहर एवं विश्व विरासत आमेर का किला |
महाराजा पृथ्वीराज जी ने बारह कोटड़ी नामक व्यवस्था का निर्माण किया, इस व्यवस्था के अन्तर्गत पृथ्वीराज जी ने आमेर को बारह भागों में विभाजित कर दिया तथा इसी विभाजन को पृथ्वीराज जी ने अपने 12 पुत्रों में बांट दिया, जिसके कारण यह बारह कोटड़ी व्यवस्था कहलाई। तत्कालीन समय में चारों तरफ इस व्यवस्था की सराहना की गई और आमेर की ख्याति सभी दिशाओं में फैली। इसी बारह कोटड़ी व्यवस्था में नाथावतो को प्रमुख स्थान मिला। नाथावत शाखा के आदिपुरुष वीरशिरोमणि नाथाजी कछवाहा के पिताश्री गोपालजी कछवाहा ( महाराजा पृथ्वीराज जी के चोथे पुत्र) बारा कोटड़ी में शामिल थे जिनसे नाथावत शाखा को बारह कोटड़ी में प्रमुख स्थान प्राप्त हुआ।
बारह कोटड़ी में सम्मिलित कछवाहा वंश की 12 शाखाएं
'आमेर री बारा कोटड़ी रा कछवाहा सरदार'
1 |
नाथावतNATHAWAT |
2 |
रामसिंहोतRAMSINGHOT |
3 |
पिच्यानोतPICHYANOT |
4 |
सुल्तानोतSULTANOT |
5 |
खंगारोतKHANGAROT |
6 |
बलभद्रोतBALBHADROT |
7 |
प्रताप पोताPRATAP POTA |
8 |
चतुर्भुजोतCHATURBHUJOT |
9 |
किल्यानोतKILYANOT |
10 |
साईंदासोतSAIDASOT |
11 |
सांगाजीSANGAJI |
12 |
रूपसिंहोतRUSINGHOT |
आमेर की बारह कोटड़ी
इतिहासकार हनुमान शर्मा जी लिखते है कि पुराने कागजो में लिखा है 'बारा कोटड़ी रा सिरदारा ने बड़ा सरदारा रो मान दियो, विशेष अधिकार लाभ , सम्मान , पदवी प्राप्त हुई' अर 'आत्मीय वर्ग रा परम विश्वासी रो सम्मान मिल्यो', आमेर राज रा सलाह मशविरा में यानेही स्थान मिल्यो।
बारह कोटड़ी व्यवस्था की स्थापना से महाराजा पृथ्वीराजजी का नाम जगत में बहुत प्रसिद्ध हुआ।
सन्दर्भ - 1. "टॉडराजस्थान" 2. इतिहास राजस्थान
3. वीर विनोद 4. नाथावतो का इतिहास ( श्रीहनुमान शर्मा)
ये भी देखे -
- नाथावत वंश परिचय यहाँ क्लिक करे
- महाराजा पृथ्वीराज कछवाहा :
- भाग-1 के लिए यहाँ क्लिक करे
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