शारदीय नवरात्री में चित्तौडगढ़ दुर्ग स्थित बाण माता मंदिर में हुआ धार्मिक अनुष्ठान , माता को चढ़ाये गये छप्पन भोग

चित्तौडगढ़ दुर्ग स्थित बाण माता मंदिर परिसर में हुआ हवन, माता को चढ़ाया गया छप्पन भोग, सेकड़ो भक्तों ने किया प्रसाद ग्रहण 


  बाण माता के छप्पन भोग अर्पित करते हुए
                                                                     
                       

चित्तौडगढ़. शारदीय नवरात्रि के छठे दिवस पर सारंगदेवोत फाउंडेशन और जय राजपुताना संघ के संयुक्त तत्वावधान में चित्तौड़गढ़ दुर्ग में स्थित सिसोदिया राजपूतों की कुलदेवी श्री बायण माता मंदिर में छप्पन भोग प्रसाद एवं हवन का आयोजन किया गया। हवन में ग्यारह जोड़ो द्वारा आहुति दी गई। हवन आहुति का कार्य कमलेश जी पण्डित द्वारा करवाया गया। इसके पश्चात माता को छप्पन भोग अर्पित किये गये सारंगदेवोत फाउंडेशन के कुं.देवेन्द्र सिंह भागल तथा जय राजपुताना संघ के आकाश सिंह वाडा द्वारा सभी भक्तों का स्वागत किया गया। कार्यक्रम में उदय सिंह जी की भागल, रचका का कुआं, राठौड़ा का गुड़ा, कच्छैर, बाँधनवाडा, अचलाना, ओनार सिंह जी की भागल, शिशवी, आसावरा, लक्ष्मणपुरा, भूरकीया खुर्द, नवलपुरा, नया तालाब, शिव सिंह जी का गुड़ा, खेतपाल का गुढ़ा, सुन्दरपुरा, खुंटिया , वाडा, बोहेड़ा, ठुकरावा, जेतपुरा, कोटड़ी खुर्द आदि अनेक मेवाड़ अंचल के गाँवों से सिसोदिया राजपूत, सारंगदेवोत फाउंडेशन एवं जय राजपुताना संघ के सदस्य एवं अनेक भक्तगण उपस्थित रहे। कार्यक्रम में सभी ने पारम्परिक वेशभूषा में पधार कर अनुशासन का परिचय दिया गौरतलब है कि प्रतिवर्ष यह आयोजन शारदीय नवरात्री में किया जाता है एवं इस वर्ष भी आयोजन प्रतिवर्ष की तरह ही भव्य रूप से सम्पन्न हुआ


बाण माता की तस्वीर का पोस्टर विमोचन करते हुए सारंगदेवोत फाउंडेशन एवं जय राजपुताना संघ के सदस्य 


मंदिर परिसर में हुए हवन में ग्यारह जोड़ो ने दी आहुति

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'रण कर-कर रज-रज रंगे, रज-रज डंके रवि हुंद, तोय रज जेटली धर न दिये रज-रज वे रजपूत " अर्थात "रण कर-कर के जिन्होंने धरती को रक्त से रंग दिया और रण में राजपूत योद्धाओं और उनके घोड़ो के पैरों द्वारा उड़ी धूल ने रवि (सूरज) को भी ढक दिया और रण में जिसने धरती का एक रज (हिस्सा) भी दुश्मन के पास न जाने दिया वही है रजपूत।"